सन्त मेरीज विद्यालय नई बस्ती, मऊरानीपुर, सन् 1987 में प्रारम्भ किया गया था । यह ईसाई अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये रोमन कैथलिक डायसीज आॅफ झाँसी ईसाई अल्पसंख्यक संस्था द्वारा संचालित है । ईसाई बच्चों के बाद इस विद्यालय में समाज के प्रत्येक वर्ग, जाति, लिंग व संस्कृति के बच्चों को प्रवेश व शिक्षा में समान अवसर प्रदान किये जाते हैं । शिक्षा, किसी बच्चे का सिर्फ मानसिक विकास ही नही अपितु हृदय एवं भावनाओं का विकास भी है । इसके द्वारा ही बच्चे की पवित्रता परिपक्वता में परिवर्तित होती है । जिन परिस्थितियों में लोग जीते एवं विकसित होते हैं, उनसे परिचित कराना भी शिक्षा के द्वारा ही सम्भव है । इस प्रकार सन्त मेरीज विद्यालय का उद्देश्य हैं कि वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को बदलने में अपना सहयोग प्रदान करना ताकि भारतीय संविधान में उल्लिखित प्राकृतिक एवं सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धान्त मानव गरिमा के साथ-साथ आत्म-सम्मान को प्रबल बना सकें । इस सन्दर्भ में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं । जैसे कि- विद्यार्थियों को परिपक्व, आध्यात्मिक चरित्र का स्वामी बनने में सहायता प्रदान करना, तत्पश्चात, उनके ऐसे चरित्र-निर्माण में सहायक बनना कि वे सांस्कृतिक विरासत की विभिन्नताओं से प्रेम करें, उसे सराहें और साम्प्रदायिकता से बचें । उनमें राष्ट्रीयता देश भक्ति और समझदारी की भावनाएं भरना । उनमें स्वतंत्र तार्किक दृष्टिकोण, सही निर्णय लेने की क्षमता, आत्म-विश्वास आदि गुणों को प्रोत्साहित करना । उन्हें उनके गुरूजनों, अभिभावकों, शिक्षकों की आज्ञा-पालन करने का प्रशिक्षण देना । उन्हें स्वयं को अनुशासित रखकर कठिन परिश्रम, रचनात्मकता, सहयोग, सहकारिता व नेतृत्व-क्षमता विकसित करने की प्रेरणा देना । उनके हृदय में क्षमाशीलता, आत्म-सम्मान एवं सबके प्रति प्रेम की भावना जाग्रत करना, विशेषकर उन वर्गो के लिए जो इनसे वंचित हैं । उन्हें सत्य बोलना, सत्य का आदर करना, निडर व निष्पक्ष भाव से सत्य का समर्थन सिखाना । उनके गुणों को पहचानना, उनकी रूचि अनुसार चुने गए क्षेत्रों में उनके विकास हेतु उचित मार्ग-दर्शन करना ।
विद्यालय अपनी अधोलिखित परम्पराओें पर गौरवान्वित हैं-
सभी विद्यार्थियों को प्रातःकालीन प्रार्थना सभा के दस मिनट पूर्व स्वच्छ व सुव्यवस्थित यूनीफार्म पहनकर विद्यालय आना है । देर से आने वाले विद्यार्थियों को विद्यालय परिसर/कक्षा में प्रवेश लेने से रोका जा सकता है । पिछले दिनों में अनुपस्थित रहे विद्यार्थियों, देर से कक्षा में पहुंचने वाले विद्यार्थियों को प्रधानाध्यापिका की अनुमति के बिना कक्षा में प्रवेश नहीं मिलेगा। खेल-कूद, पी.टी. व अन्य इच्छित विषयों हेतु कक्षा बदलते समय शान्ति बनाए रखना अत्यावश्यक है । बरामदों से गुजरते समय व सीढ़ियों से उतरने-चढ़ने के दौरान छात्र/छात्राएं सदैव अपने शिक्षक के संरक्षण में एक पंक्ति में बांयी ओर चलें व पूर्ण शान्ति बनाए रखें । अनियमित उपस्थिति, एक सप्ताह से अधिक अकारण अनुपस्थिति व असन्तोषजनक स्पष्टीकरण, आदतन सुस्ती, अवज्ञा, परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का प्रयोग किसी भी विद्यार्थी के निष्कासन का कारण होगा । विद्यालय के अन्दर या बाहर विद्यार्थी अपने आचरण के लिए विद्यालय प्रशासन के प्रति उत्तरदायी होंगे । सभी विद्यार्थी विद्यालय तथा विद्यालय की गतिविधियों के प्रति नियमित रहेंगे । प्रधानाचार्या की आज्ञा के बिना किसी को भी विद्यालय से जाने की अनुमति नहीं है । प्रत्येक पीरियड की समाप्ति पर विद्यार्थी को कक्षा से बाहर जाने की अनुमति नहींे है । विद्यालय की इमारत के अन्दर दौड़ना, चिल्लाना या अन्दर खेलना मना है । विद्यार्थियों को किसी भी राजनैतिक या अन्य संगठनों में भाग लेने की अनुमति नहीं है, जिसका परिणाम हिंसा या साम्प्रदायिक उथल-पुथल हो सकता हो ।
इस विद्यालय में प्रवेश निर्धारित व स्थान रिक्त होने पर ही मिल सकेगा। जाति, समुदाय तथा धर्म के भेदभाव से परे, प्रवेश सभी को दिया जाता है ।
पंजीकरण/प्रवेश फार्म अभिभावकों के द्वारा भरें जाएं तथा आवश्यक प्रपत्र या प्रमाण-पत्र संलग्न किए जाएं । ऐसा न करने पर छात्र का नाम लिस्ट से काटा या रद्द किया जा सकता है । सभी आवश्यक पत्र व प्रमाण-पत्र जो प्रवेश हेतु जमा किये जाते हैं, उन्हें लौटाया नहीं जाएगा । सिवाय जन्म प्रमाण-पत्र की मूल प्रति के । प्रवेश सिर्फ पात्र की योग्यता के आधार पर ही मिलेगा । इस संदर्भ में विद्यालय प्रशासन पर किसी भी प्रकार का अनुचित दबाव, प्रभाव, दान या सिफारिश स्वतः ही प्रवेश न मिलने का कारण सिद्ध होंगे ।
प्रधानाचार्या को पूर्ण अधिकार है कि वो किसी छात्र को प्रवेश दे या न दें । इस में वो किसी स्पष्टीकरण की उत्तरदायी नहीं होगी तथा उनका निर्णय ही मान्य होगा । अल्पसंख्यक संस्था द्वारा संचालित होने के कारण इस विद्यालय में कैथोलिक ईसाई, समुदाय के बच्चों को प्रवेश हेतु प्राथमिकता देने का अधिकार प्रधानाचार्या को है । विद्यालय प्रशासन को यह अधिकार है कि वर्तमान में इस विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक/शिक्षिकाओं के बच्चों को प्रवेश में प्राथमिकता, किसी छूट के साथ दें या न दें ।
छात्रों के लिये
सहयोग की भावना के साथ अपने दल के सदस्यों के साथ काम करें । अपने दल के विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं तथा कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्साहित करें । अपने दल की भावना, गरिमा तथा सिद्धान्तों को ऊँचा उठाएं । एक स्वस्थ व सहयोगपूर्ण वातावरण का निर्माण कर अपने दल की गतिविधियों की जानकारी समय≤ पर प्रधानाचार्या को देते रहें । समस्त विद्यार्थियों को प्रार्थना सभा, मध्यान्तर, कार्यक्रमों के दौरान अनुशासित रखें । सद्व्यहार करें, अपनी जिम्मेदारियों को गम्भीरतापूर्वक निष्पक्ष होकर पूरा करें । नियमित, सजग विनम्र तथा व्यवहारिक रहें ।
सभी विद्यार्थियों के लिए दल व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है, विद्यार्थियों में सहयोग व समूह में काम करने तथा रूचियों को घनिष्ठ करने की भावना जगाना, इसके साथ ही उनमें सामाजिक गुणों का विकास करना । दल व्यवस्था ही विद्यालय के अनुशासन को बनाए रखती है और विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों की प्रतिभाओं, गुणों के विकास में सहयोग प्रदान करती है । विद्यार्थियों को चार दलों में विभक्त किया जाता है-
जुलाई
किसी भी परीक्षा के पूर्व या दौरान अनुपस्थित विद्यार्थियों की पूर्व परीक्षा या पुनः परीक्षा नही ली जायेगी । कक्षोन्नति के सम्बन्ध में प्रधानाचार्या का निर्णय अन्तिम व मान्य होगा । वर्शभर के प्रदर्शन के आधार पर कक्षोन्नति दी जायेगी । हिन्दी, अंग्रेजी, गणित व विज्ञान में 40ः अंक अनिवार्य है ।
विद्यालय नीतियों के अनुसार प्राइवेट ट्यूशन रखना (चाहे विद्यालय के अध्यापक हो या बाहरी) विद्यार्थी की प्रगति में बाधक है । विशेष रूप से प्रधानाचार्या की अनुमति के बिना यह नितान्त अवांछनीय है । इसलिए अभिभावकों को यह सख्त हिदायत दी जाती है कि ट्यूटर की व्यवस्था से बचें । प्रधानाचार्य की अनुमति के बिना न तो विद्यालय के शिक्षक/शिक्षिकाओं और न ही बाहरी शिक्षकों से ट्यूशन दिलवाएं ।
यह विद्यालय बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत् है । अतः विभिन्न कक्षाओं के लिए नियमित रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । विद्यार्थियों से यह उम्मीद की जाती है कि वो इन कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग लें । अभिभावक अपने बच्चों को भाग लेने के लिए उत्साहित करें । अपने बच्चों की प्रतिभा व विशेष गुणों की जानकारी प्रधानाचार्या/शिक्षक को दें ताकि बच्चें की प्रतिभा व पनपने का अवसर दिया जा सके । पढ़ाई के साथ-साथ इन कार्यक्रमों में बच्चों की रूचि, सहभागिता तथा प्रदर्शन के आधार पर ही उनका सही मूल्यांकन हो सकेगा ।
विनम्रता, व्यवहारिकता, वार्तालाप व आचरण में भद्रता, वस्त्रों की व शारीरिक स्वच्छता प्रत्येक छात्र से अपेक्षित है । विद्यालय स्टाफ के प्रति किसी भी प्रकार की अभद्रता और अनादर को गम्भीर अनुशासनहीनता समझा जाएगा । प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तब्य है कि पढ़ाई और आचरण में निरन्तर बेहतर करने की कोशिश करते हुए विद्यालय की गरिमा को बनाए रखें । कोई भी सामान ऐसा न लाएं जो विद्यालय के शान्तिपूर्ण वातावरण में व्यवधान डाले ।
एक पीरियड की समाप्ति पर, दूसरे विषय से सम्बन्धित अध्यापकों के आने तक विद्यार्थियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे उस विषय की पुस्तक निकाल कर पढे़ । अध्यापक के आने तक कक्षा में अनुशासन व शान्ति कायम रखने की जिम्मेदारी प्रथम माॅनीटर की होगी । अगर अध्यापक 5 मिनट के अन्दर न आए तो द्वितीय माॅनीटर की जिम्मेदारी है कि वह आकर कार्यालय में सूचित करें ।
विद्यालय परिसर को स्वच्छ रखना, बगीचे को हरा भरा रखना प्रत्येक विद्यार्थी का उद्देश्य होना चाहिए । इसलिए विद्यालय परिसर की देखभाल करें। फलों के छिलकें, पाॅलिथिन, कागज इत्यादि, कूड़ेदान में ही फेंके । दीवारें गन्दी करके, पौधे उखाड़कर, फूल-पत्तियाँ आदि तोड़कर विद्यालय तथा उसके उपवन की खूबसूरती को कम न करें । पाठ्यक्रम द्वारा निर्धारित पुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकें या पत्रिकाएं विद्यालय में न लाएं । प्रधानाचार्या की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी प्रकार का धन या फण्ड संग्रह करना मना है । शिक्षकों व विद्यार्थियों को उपहार या उनके सम्मान में कोई भी आयोजन प्रधानाचार्या की अनुमति के बिना न किया जाए । विद्यार्थियों को सभी पीरियड़ो में उपस्थित रहना अनिवार्य है । धार्मिक या सामाजिक उत्सवों में भाग लेने के लिए कक्षा से जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी । अभिभावकों के अनुरोध पर छात्रों को जो छुट्टी दी जायेगी उसे अवकाश वाले पेज पर दर्ज करके अभिभावक के हस्ताक्षर होना जरूरी है । प्रत्येक छात्र के लिए कुल उपस्थिति 85: होना अनिवार्य है । किसी भी छात्र को 85: उपस्थिति के बिना कक्षोन्नति नहीं मिलेगी । प्रत्येक विद्यार्थी को अपने सामान की स्वयं देखभाल करनी होगी । किताबें, कपड़े, पानी की बोतल, टिफिन, जेवर पैसा या अन्य कीमती वस्तु के खोने पर विद्यार्थी स्वयं जिम्मेदार होगा ।
विद्यार्थियों को प्रतिदिन अखबार पढ़ना चाहिए और मुख्य समाचार नोट करना चाहिए । जो विद्यार्थी समाचार पढ़ने मंच पर आए उसे भलीप्रकार से तैयारी करके आना होगा । इस कार्य के लिए उसे अपने कक्षाध्यापक की पूर्वानुमति तथा सहमति लेनी होगी । मध्यान्तर के समय विद्यार्थी न तो अपनी और न ही अन्य कक्षाओं में प्रवेश करेंगे । यदि कोई विद्यार्थी किसी संक्रामक रोग से पीड़ित हो तो उसे पूर्ण स्वस्थ्य होने पर तथा चिकित्सक द्वारा प्रमाण पत्र दिये जाने पर ही कक्षा में बैठने की अनुमति मिल सकेगी । सभी विद्यार्थियों को व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।
उनकी यूनिफार्म प्रतिदिन साफ धुली हुई, ढंग से इस्त्री की हुई होनी चाहिए ।जूते पाॅलिश किए हुए हो, नाखून कटे हुए हों, बालों में कंघी की हुई हो । इन सबका पालन न होने पर विद्यार्थी को वापिस घर भेजा जा सकता है ।
वाहन सम्बन्धी नियम सभी अभिभावकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय प्रषासन द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी वाहन (बस/ आपे/ टैक्सी/ टूसीटर इत्यादि) स्कूली बच्चों को लाने अथवा ले जाने हेतु संचालित नहीं करता है । बच्चों को समय पर विद्यालय लाने एवं ले जाने हेतु वाहन की व्यवस्था अभिभावकों की स्वयं की होगी । वाहन का चयन करने से पूर्व अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वह उचित वाहन का चयन करने हेतु निम्न बिन्दुओं को जाँच स्वयं कर लें ।
स्मरण रहे कि एक दिन के 24 घण्टों में से लगभग 6 घण्टे ही आपका बच्चा विद्यालय में गुजारता है । शेश18 घण्टे उसके अपने घर में, अपने माता-पिता तथा परिवार वालों के साथ व उनके संरक्षण में गुजरते हैं । विद्यालय में उसका व्यवहार उसके घर के वातावरण की झलक देता है । अपने बच्चों को भावी, सुयोग्य नागरिक बनाने में माता-पिता की अहम् भूमिका होती है । अतः अपने बच्चों की सर्वोत्तम शिक्षा के लिए माता-पिता तथा विद्यालय प्रशासन के बीच अधिकाधिक सम्पर्क एवं सहयोग की आवश्यकता होती है । किसी भी शिक्षार्थी के बीच विद्यालय एवं घर दोनों ही शिक्षा के मन्दिर है । अभिभावकों एवं संरक्षकों द्वारा दिया गया प्रोत्साहन उनकी उन्नति में सहायक होता है । विद्यालय प्रशासन तथा शिक्षक वर्ग की अभिभावकों से अपेक्षा रहती है कि वे अपने सहयोग तथा सामंजस्य के साथ ध्यान दें कि- विद्यार्थी अपने प्रतिदिन के पाठ दोहरांए और अपना गृह कार्य नियमित करें अभिभावक यह समझें कि विद्यालय उनके बच्चों का है और विद्यालय प्रशासन की निन्दा न करें । अभिभावक विद्यालय को आदेश-निर्देश न दें । विद्यालय के सुधार के लिये वे महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहें तो उनका सदैव स्वागत है । अभिभावक व संरक्षक विद्यालय परिवार व उसकी नीतियों से परिचित हो तथा विद्यालय के पाठ्यक्रम से सामंजस्य स्थापित करें । वे अपने बच्चों की स्कूल डायरी प्रतिदिन देखें, नियमितता व अनुशासन पर जोर दें तथा देखें कि बच्चे को दिया गया गृहकार्य प्रतिदिन पूरा करें । स्कूल डायरी में दी गई टिप्पणियों पर ध्यान दें, हस्ताक्षर करें और आवश्यक कदम उठाएं । यदि अभिभावक इस पर दृढ़चित्त हों तो यह उनके बच्चों के सुधार में सहायक होगा । अभिभावकों से अनुरोध है कि वे उस पृष्ठ पर हस्ताक्षर करें जिस पर प्रधानाचार्या द्वारा टिप्पणी दी गई हो । कार्यालय द्वारा प्रेषित पत्र, रिपोर्ट कार्ड आदि पर हस्ताक्षर अवश्य करें । इन हस्ताक्षरों के मिलान हेतु डायरी के प्रथम पृष्ठ पर अपना हस्ताक्षर नमूनार्थ करें, ताकि विद्यार्थी अपने माता-पिता के जाली हस्ताक्षर बनाने की कोशिश न करें । अभिभावक-शिक्षक मीटिंग के दौरान अभिभावक या संरक्षक अपने बच्चों के शिक्षकों से अवश्य मिलंें । इसे कार्य-दिवस के रूप में ही लिया जाता है और इस दिन न आने वाले बच्चों की अनुपस्थिति दर्ज की जाएगी । अनावश्यक कारण या कार्य के बिना अन्य किसी कार्यदिवस पर शिक्षकों से मिलना मना है । यदि आपके पास विद्यालय प्रशासन के प्रति कोई उचित व वैधानिक शिकायत हैं, तो अनावश्यक टिप्पणी के बजाय कार्यालय में प्रधानाचार्या से सम्पर्क करें । ध्यान दें कि विद्यार्थी कोई भी नुकीली या धारदार वस्तु जैसे पिन, कील आदि व माचिस, पटाखें आदि लेकर विद्यालय न आयें । यदि कोई छात्र इस सन्दर्भ में दोषी पाया गया तो उसे दण्डित किया जाएगा या संक्षिप्त अवधि के लिए विद्यालय से बहिष्कृत किया जा सकता है । प्रधानाचार्या को प्रार्थना पत्र प्रेषित करते समय अपने बच्चे का नाम, कक्षा वर्ग आदि अवश्य लिखें । अभिभावक विद्यालय सम्बन्धी किसी भी कार्य हेतु अध्यापक या अध्यापिकाओं के घर न जाएं, विद्यालय में ही सम्पर्क करें । कार्यालय की समयावधि के दौरान ही फोन सुने जाएंगे । प्रधानाचार्या के निवास पर विद्यालय सम्बन्धी कोई कार्य नहीं किया जाएगा । विद्यालय परिसर में मोबाइल फोन व कैलकुलेटर लाना मना है । परीक्षा सम्बन्धी तिथि में परिवर्तन हेतु कोई प्रार्थना नहीं सुनी जाएगी ।